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ROHIT KUMAR

Inspirational

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ROHIT KUMAR

Inspirational

हम बढ़ेंगे हम पढ़ेंगे

हम बढ़ेंगे हम पढ़ेंगे

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गमों के अंधेरे कब तक रहेंगे

एक दिन खुशी के रौशनी गढ़ेंगे


ख्वाहिशें सभी पूरी होंगी मगर

जब हम बढ़ेंगे हम पढ़ेंगे


ये नामुराद रास्तों में मिलेंगे

जाने कितने कंकर पत्थर


मगर फ़ौलादी हैं जो क़दम

उसे चूर कर देंगे हम जमकर


ढलानें जैसी हैं ये रास्ते मगर

हम भी ढीठ हैं  हम चढ़ेंगे


लहराएंगे हम परचम मगर

जब हम बढ़ेंगे हम पढ़ेंगे


प्यासे हैं दृढ़ निश्चय हमारे, पर

पानी मिलेगा कहीं मीठा कहीं खारा 


मगर निश्चय भी दृढ़ निश्चय हैं हमारे

और ये दृढ़ निश्चय कभी नहीं हारा


कोशिश बदलने की भरपूर है

क़िस्मत की लकीरों से हम लड़ेंगे


जो भी, हो चाहे जैसे भी हो

मगर हम बढ़ेंगे हम पढ़ेंगे।।


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