पीयूष वर्ष छंद...
पीयूष वर्ष छंद...
हे मुरारी मीत गिरिधारी सुनो ।
मैं सुदामा दीन हितकारी सुनो ।।
क्षीण काया जान चित्कारी सुनो ।
कृष्ण हे कंसारि सुखकारी सुनो ।।
प्रार्थना मेरी सुनो हे स्वर्ग पति।
पाप का अब से हरो हे नाथ मति ।।
प्रभु लगाओ अब दुखों में आज यति ।
हो सहारा आप कमलापति जयति ।।
फूल हूँ बेजान फुलवारी सुनो ।
मूर्ख शठ सा जान संसारी सुनो ।।
मैं अभागा श्याम दुश्वारी सुनो ।
नाथ लक्ष्मीकांत बलिहारी सुनो ।।
