"पीरो के पीर रामसा पीर"
"पीरो के पीर रामसा पीर"
पीरों के पीर, कहलाते बाबा रामसा पीर
वीरों के वीर, कहलाते बाबा रामसा वीर
जब-जब इस धरती पर धर्म घटता है,
तब आ जाते है, श्री हरि छोड़कर क्षीर
अजमल की भक्ति से जब प्रसन्न हुए,
तब आपने जन्म लिया श्री रामसा पीर
पीरों के पीर कहलाते बाबा रामसा पीर
बड़े भाई बिरमदेव, माता मैणादे शमशीर
गुरु बालीनाथ ने, चलाना सिखाया तीर
बहुत चमत्कार दिखाये आपने रामसा पीर
यह दुनिया कहती उन्हें, परचे बड़े गम्भीर
पीरों के पीर कहलाते बाबा रामसा पीर
भाद्र शुक्ल दूज को आपने जन्म लिया,
रूणिचा में बसाया बाबा आपने कुटीर
भैरव राक्षस मारा, सबको किया निर्भीक
लीला घोड़े के सवार, भक्तों के प्यारे पीर
पीरों के पीर कहलाते बाबा रामसा पीर
डालीबाई को आपने धर्म बहन बनाई,
दे दी उसको भक्ति की पावन जंजीर
माता नेतलदे थी, आपकी अर्धांगिनी,
मातृवत स्नेह की वो थी अद्भुत तस्वीर
पीरों के पीर कहलाते बाबा रामसा पीर
आपने मिटाया, उसवक्त जाति भेद गंभीर
क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम सब मानते है,
आपको अपना प्यारा सा रामसा पीर
रूणिचा में लीनी समाधि, रामसा पीर
अंधों को आंखें देते, लूलों को देते शरीर
आपकी जय हो, सबके प्यारे रामसा पीर
आज भी जो भक्त बहाते तेरे लिये नीर
उनको अवश्य दर्शन देते है, रामसा पीर
उनकी जिंदगी के बनते, बिगड़े काम फिर
लोक देवता मानकर पूजे दुनिया सारी,
निश दिन रहती तेरे देवरों में भारी भीड़
पीरों के पीर कहलाते बाबा रामसा पीर
दीन-दुखियों के दुःख मिटाते है, बाबा
कौमी एकता के अद्भुत देव, रामसा पीर
आज भी जो कोई तुझे मन से याद करे,
और तेरी समाधि पर माथा टेके फिर
उसका तो तुरंत ही संकट कट जाता है,
तेरी भक्ति से तुरंत खत्म होती, दुःख समीर
जिसे पूरी दुनिया ठुकराये, उसे तू अपनाये
तू है, पतित पावन प्रभु, हमारा रामसा पीर
तेरी जय हो, हम सबके प्यारे रामसा पीर