फूल ही तो है
फूल ही तो है
वाणी नहीं है पर लगता है जैसे
दिल को छूते शब्द वही बोलते हैं
आँखें नहीं है पर क्यूँ जाने कैसे
हजारों ख्याल मेरे नैनों में उतारते हैं
कान नहीं है कहते हैं, जाने फिर कैसे
मेरी सिसकीयाँ मेरा रुदन वही तो सुनते हैं
हाथ नहीं है पर हमेशा बाहें फैलाए वैसे
मुझे गले लगाने को वही तैयार मिलते हैं
पैर नहीं तो क्या, देखो साथी है वो ऐसे
मेरे सपनों मे चलने को साथ ही मिलते हैं
हाँ वही फूल है, सच में सजीवता के साक्ष्य
अपनी सुगंध से कई मीलों तक फैलते हैं