" फ़ुर्सत के क्षण"
" फ़ुर्सत के क्षण"
जब तक रहेगी ज़िन्दग़ी
फ़ुर्सत नहीं होगी काम से
कुछ समय ऐसा निकालो
प्यार करलो श्रीराम से।
जब तक हमें आशाऔर विश्वास हैं।
तब तक हमारे लिए भगवान है।
प्रकृति के कोई सबूत देने कि जरूरत नहीं हैं।
प्रकृति ही भगवान हैं।
आस्तिक को तो ईश्वरीयशक्ति
भक्ति में आस्था हैं।
नास्तिक कभी ईश्वर को
तहदिल से नहीं मानता हैं।
आस्तिकऔर नास्तिक में
बस इतना सा ही तों फर्क हैं।
दोनों में फर्क को फुर्सत के क्षणों में
सोच विचार कर के हक़ीक़त में समझिएगा।
