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Rajni Sharma

Inspirational

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Rajni Sharma

Inspirational

फटी जेब

फटी जेब

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कब मेरी जुस्तजू 

पहचान बन गयी 

सफर में तेरे 

मुकम्मल हो चली।


ये बात नहीं है गैरों की 

अपनों का ये दावा है 

साथ जो तुम चले 

जंजीरों को तोड़ा है।


हकिकत है ये 

नौकरी के डगर चल पड़ें हैं 

कठिन तो है पर 

आसमान छूने उड़ चले हैं।


मालूम है 

दिल में जुनून पेशानी पे सुकून 

इसी ज़ज्बे से 

ज़रूरतमन्दों की ख्वाहिश बने हैं।


डर नहीं हैं कि 

फटी जेब से निकले हैं 

सिक्को से ज़्यादा 

रिश्ते ज़मीन पर गिरते चले हैं।


ज़िन्हें होगी तलब 

चाहतों का अम्बार लगा देंगे 

तेरी इच्छा पर

हम पूर्णरूपेण पिघले हैं।


मेरा हौसला

तेरा मुस्तकबिल है 

जी जान लगा देंगे 

मिलनी ज़रूर मंजिल है।


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