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Kawaljeet Gill

Abstract

4.5  

Kawaljeet Gill

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फर्क तुममे और हममे बस इतना....

फर्क तुममे और हममे बस इतना....

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338


हमसे सवाल करने का हक़ भी कभी तेरे पास हुआ करता था, 

अब तो वो हक़ भी नहीं रहा तुझको क्योंकि 

अब तो सवाल पूछने का हक सिर्फ हमारे पास है। 


जब होगी इतनी हिम्मत तुम में की हर सवाल का जवाब दे पाओ, 

तब तुम आ जाना हम तेरा इन्तजार करेंगे वरना भूल जाओ हमको।


 हम को आदत सी हो गयी है तनहा रहने की तो तन्हा ही रहने दो, 

साथ तुमारा कभी हमको दुनिया में सबसे प्यारा लगता था। 


ज़िद्दी हम भी बहुत है यह तुम भी जानते हो फिर दिल हमारा क्यों थोडा तुमने, 

प्यार हमसे ही करते हो तो जवाब दो तन्हा-तन्हा क्यों छोड़ा हमको।


 बसाने को तो अपनी नयी दुनिया हम बसा सकते है,

 पर बेवफाई करना हमको कभी गवारा हुआ ही नहीं 

फर्क तुममे और हममे बस इतना ही है।


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