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Meera Pitale

Tragedy Others

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Meera Pitale

Tragedy Others

फरीयाद...

फरीयाद...

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तेरा घर आंगन जैसे 

कवच था मेरी सुरक्षा का

जरा सी बाहर क्या निकली 

मैं निशाना बनी हर एक की नजर का


उस नजर की घिन आती रही 

पर मैं चुपचाप सहती रही 

कुछ तो मेरे अपने ही निकले 

और कुछ अपनों की भेस में भेड़िये


विश्वास की चिता रचती देखी है मैंने 

उसी चिता पर फिर ख़ुद को पाया मैंने

बहुत कुछ कहना था तुझसे बाबुल 

पर हिम्मत ना जुटा पाई बिलकुल 


चीखती रही तेरी बेटी मगर 

अनसुना कर गए सुनकर 

फिर जब तूफान थम गया तो

मेरी मौत पर रोने काफिला जम गया


कहूंगी उस ऊपरवाले से यूं

जन्म देकर छोड़ ना दे बीच रास्ते में

पुकारा तो तुझे भी था मैंने 

औरों की तरह अनसुना कर दिया तूने


क्यों करूँ मैं जयजयकार तेरी

ऐसी क्या मदद की तूने मेरी 

जब कहलाता पालनहार ख़ुद को 

बचाना तेरा फर्ज था मुझ को 


बिनती है इस अभागी बेटी की 

मेरा अगला जन्म बख्शने की 

तू भी थोड़ा सही है जिम्मेदार

मेरा वजूद मिटाने में भागीदार 


पर हार नहीं मैं मानूंगी 

फिर उसी बाबुल के घर जन्म लूंगी 

होगा सामना जब उन भेड़ियों से मेरा 

इस बार दुर्गा बनकर उनका संहार करूंगी.....



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