फलक
फलक
धुए में सब धुआं सा लगता है।धुआं हटे तो कुछ बात बने।
जमीन से फलक का सफर। जब तन्हा-सा लगा। तब मां का सिर पर हाथ दिखा।
कह रही थी मानो,अकेला कहां है तू? रास्ते भी तो तेरे साथ हैं। अपनों के साए में ही तो, बढ़ रहे तेरे अरमान है।
धुए में सब धुआं सा लगता है।धुआं हटे तो कुछ बात बने।
जमीन से फलक का सफर। जब तन्हा-सा लगा। तब मां का सिर पर हाथ दिखा।
कह रही थी मानो,अकेला कहां है तू? रास्ते भी तो तेरे साथ हैं। अपनों के साए में ही तो, बढ़ रहे तेरे अरमान है।