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Shweta Chaturvedi

Romance

3  

Shweta Chaturvedi

Romance

फिर से तुम्हारी

फिर से तुम्हारी

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मैं नहीं जानती कि तुम किस मिट्टी के बने हो

नम हालातों में भी कभी 

तुम्हें टूटते, बिखरते नहीं देखा।


पर मैं तो बादल देखते ही 

बिना बारिश के झट से ढेर हो जाती हूँ।


और जब तुम अपने हाथों की थाप दे कर 

गढ़ देते हो मुझे अपने मन चाहे आकार में, 


तो मैं फिर वैसी ही हो जाती हूँ. 

फिर से तुम्हारी 

सदा, सर्वदा, सदैव के लिये।



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