फेसबुक के अनजाने दोस्त
फेसबुक के अनजाने दोस्त
किसी से हम यहाँ, मिलते नहीं हैं आपस में !
फिर भी है प्यार, हमें दूर ही दूर रहने में !
यहाँ नहीं है कभी, भेद -भाव कोई सपनों में !
दीया जलाके हम, मिलते हैं रोज अपनों में !
यही एहसास सारी, रहती है हमारी जिंदगी में !
उम्र भी कट जाती, है एक दूसरे की बंदगी में !
कोई छोटा नहीं है, ना कोई बडा इस मैखाने में !
जिसे जितना मिले, वह डाल ले अपने पैमाने में !
पर होश इतना रहे, बेहिचक चलते रहे विराने में !
खैर-मक़दम सभी का, करते रहें इसी तरह जमाने में !