पेंटिंग बाय विलियम क्लेस
पेंटिंग बाय विलियम क्लेस
रिश्तों की बेरुखी दिल तोड़ देती है।
अपनों से ही करके विमुख हमें छोड़ देती है।
बहुत मुश्किल हो जाता है मन को समझाना।
अपनों के विरुद्ध होने पर
खुश रह पाना।
याद में, मन में ,दिमाग में
केवल घूमते रहते हैं वही,
बहुत मुश्किल होता है पुराने समय को भूल पाना।
कोशिश करो एसे हालात ही
नहीं लाना।
मना लो उनको जो अपने हैं,
हार जीत का भाव अपने मन में नहीं ना लाना।
लेकिन फिर भी बेरुखी बढ़ जाए तो!
कोई हद से गुजर जाए तो! अपने आप को ही समझाना।
अपने कभी नहीं चाहते अपनों को रुलाना।
जो रुला रहे हैं तुम्हें वह तुम्हारे अपने होंगे भी नहीं,
इसलिए उनकी बेरुखी से क्या घबराना।
उन लोगों को तुम भी नहीं अपनाना।