पौधे-जीव और इंसान
पौधे-जीव और इंसान
बचाना है हमें जो यह संसार,
सदा याद रखना यह विचार ,
संग-संग ही बढ़नी ये कहानी है,
पौधे-जीव और इंसान की।
गर बचे पेड़ तब ही तो हम बचेंगे,
ध्यान रखनी बात यह हमको ज्ञान की।
निर्भर हैं जंतु सीधे या अपरोक्ष तौर,
निज पोषण के लिए पौधे-पेड़ों पर।
लालच और नासमझी में फंसकर,
कर रहे हैं प्रहार निज पोषक पेड़ों पर।
छोटे लालच के त्वरित लाभ में,
भूलते हैं दीर्घकालिक नुकसान की।
बचाना है हमें जो यह संसार,
सदा याद रखना यह विचार ,
संग-संग ही बढ़नी ये कहानी है,
पौधे-जीव और इंसान की।
गर बचे पेड़ तब ही तो हम बचेंगे,
ध्यान रखनी बात यह हमको ज्ञान की।
पौधों के विनाश की क्षति का ,
हम सब को है काफी अहसास।
जान-बूझकर खतरे से बचाव का ,
कर न रहे हैं हम सार्थक से प्रयास।
घातक मार प्रदूषण की सह भी,
करते अनदेखी समूल-नाश नुकसान की।
बचाना है हमें जो यह संसार,
सदा याद रखना यह विचार ,
संग-संग ही बढ़नी ये कहानी है,
पौधे-जीव और इंसान की।
गर बचे पेड़ तब ही तो हम बचेंगे,
ध्यान रखनी बात यह हमको ज्ञान की।
समय रहते चेत हम सब ही जाएं,
रोक विनाश करें नव पादप रोपण।
तब ही होगा निज और प्रकृति मां के,
तन और मन का निश्चित ही पोषण।
सबकी सामूहिक कोशिश से ही बचेगी,
प्रकृति मां और प्रभु की श्रेष्ठ कृति इंसान।
बचाना है हमें जो यह संसार,
सदा याद रखना यह विचार ,
संग-संग ही बढ़नी ये कहानी है,
पौधे-जीव और इंसान की।
गर बचे पेड़ तब ही तो हम बचेंगे,
ध्यान रखनी बात यह हमको ज्ञान की।