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Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

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Sumit. Malhotra

Abstract Action Classics

पानी का ये रौद्र रूप

पानी का ये रौद्र रूप

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पिछले कुछ दिनों में तबाही हुई, 

जान-माल की ज़्यादा हानि हुई। 


रूह तक कांप गई थी सच मेरी, 

दुआ करते दोबारा ऐसा नहीं हो। 


पानी का ये रौद्र रूप देखा हमने, 

लोगों को पानी में बहते देखा था। 


जीव-जंतु और बड़ी-बड़ी इमारतें, 

ताश के पत्तों की तरह बहते देखा। 


बसों, ट्रकों जैसे बड़े वाहन को भी, 

आसानी से बहते हुए देखा था मैंने। 


पहाड़ो से मैदानों तक तबाही देखीं, 

प्रकृति का इतना रौद्र रूप ही देखा। 


प्रकृति से छेड़छाड़ मंहगी पड़ी हमें, 

प्रकृति ने लौटाया वापिस सब हमें। 


मेरे देशवासियों अब सम्भल जाना, 

स्वार्थ के लिए छेड़छाड़ करना नहीं। 


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