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Jyoti Astunkar

Abstract Classics

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Jyoti Astunkar

Abstract Classics

ऑफिस

ऑफिस

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शोरगुल और लोगों से भरे हुए 

वो आगार भी क्या खूब होते हैं,

आज जब वहां उस सन्नाटे को भरा देखा

तो सच में समझ आया वो क्या खूब होते थे,


आते जाते लोगों की हलचल

लोग ना भी हो तो एक चहल-पहल,

बातें करते शोर मचाते वो हम

कभी मज़ा तो कभी ढेर सारा काम,


सुबह सुबह ऑफिस की वो एंट्रेंस

और आते ही गुड मॉर्निंग फ्रेंडस,

काम में तो हैं मशगूल सारे

फिर भी दिन जाते एक दूसरे के सहारे,


लंच टाइम तो होता ऐसे

जैसे पिकनिक टाइम मे हैं हम बैठे,

काम तो है ही, होता रहेगा

लंच टाइम तो सबके साथ ही होगा,


चलो चलो बहुत काम कर लिया

चाय का टाइम है, बस तय कर लिया,

टी ब्रेक का वो सुकून भरा टाइम

कितने ही किस्सों का क्वालिटी टाइम,


वाइंड-अप का टाइम है दोस्तों

कहीं कोई नया काम ना आ जाए,

करना तो है ही, गर आ ही गया 

पर बस, वो वाइंड-अप का मज़ा गया,


अगले दिन तो है फिर वही

सुबह सुबह ऑफिस की वो एंट्रेंस,

और आते ही गुड मॉर्निंग फ्रेंडस

और जाते टाइम, लेट्स मीट टुमॉरो।


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