नयी पीढ़ी
नयी पीढ़ी
आओ मिलकर उस सन्तान की बात करें,
जो जन्म लेने वाले हैं समाज में कल को,
नया चेहरा दिखलाने वाले हैं जग को,
किलकारियां खिल उठेगी सबके आंगन में,
खुशियां गीत गाये जाएंगे सबके दामन में,
नयी पीढ़ी का वो हरदम उद्धार करेंगे,
चलो उखड़ती महफ़िल की बात करें,
आओ मिलकर उस सन्तान की बात करें।
हाल ही में शहर है चारों तरफ धुआं धुआं सा,
आने पर उनकी जिंदगी महसूस होगी रुआं सा,
चमन है चारों ओर बेशर्ती से लुटा लुटा सा,
शेष ही बच जायेगा वातावरण में यह दमां सा,
क्यों न अब उनके सुरते हाल की बात करें,
आओ मिलकर उस सन्तान की बात करें ।
सूखे गदियारे बन रहे हैं रेगिस्तान,
चारों ओर से उठ रहे तेज रौ तूफान,
झुक रहे आकाश के छप्पर सारे,
इंसान ही इंसान को नही लगते अब प्यारे,
उनके सम्मुख मुश्किलें भगाना है जरूरी,
नही तो लक्ष्य अपूर्ण साधना रहेगी अधूरी,
क्यों न मिलकर उस हालात की बात करें,
आओ मिलकर उस सन्तान की बात करें।
है अरमान वही बस नया कुछ दिखलाना है,
मरने वाली दुनिया को फिर से जीवित करना है,
तपती लौ एवं संक्रमणों को फिर से बुझाना है,
चन्द्रमा की चांदनी को फिर से खिलाना है,
जीवन में गुलशन की खुशबू फैलाना है,
क्यों न उनकी मासूमियत की बात करें,
आओ मिलकर उस सन्तान की बात करें ।