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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

नये साल में पुराने की टीस "

नये साल में पुराने की टीस "

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लोग कहते हैं कि भूल जाओ बीते लम्हों को,

नए सालों में भी अब तुम कोई नया गीत गा लो !

पीछे मुड़ के भला कोई देखे क्यूँ उन गहराइयों को,

आगे चल के तुम्हें छूना है पर्वतों की ऊँचाइयों को !!


पर कुछ मंजरों को भला हम भूल कैसे जायेंगे ,

बुनियादी बातों की टीस को हम कैसे सह पाएंगे !

किये थे लाख वादे हमसे कि हमारे दिन सुधर जाएंगे,

"महँगाई नियंत्रण "और लोगों को काम दिलवाएंगे !!


अपनी बातों से हम लोगो को मंत्र मुग्ध करने लगे,

हम फिर सपनों के महल में चैन की नींद सोने लगे !

नयी योजनाओं की बोली राजनेता मंच से करने लगे,

हमें सर्दियों में निर्वस्त्र करके ठिठुरते छोड़ गए !!


हम कैसे भूले नारी के सम्मानों में कुछ कर ना सके,

भीड़ तंत्र के कहरों को हम ना समाज में रोक सके!

देशद्रोह के इल्जामों से लंकेश भी न बच सकी ,

दाभोलकर के हत्यारों को पुलिस तक ना ढूंढ सकी !!


स्वर्णिम इतिहास को पढ़कर हम गर्व से सर उठाते हैं ,

काले इतिहास से अपने विश्व में हम बौने हो जाते हैं !

क्यूँ ना दुःख के काली रातों को भूल के आगे चलते हैं,

पर उन नासूरों को हम जन्म -जन्म तक ढोते रहते हैं !!


लोग कहते हैं कि भूल जाओ बीते लम्हों को ,

नए सालों में भी अब तुम कोई नया गीत गा लो !

पीछे मुड़ के भला कोई देखे क्यूँ उन गहराइयों को ,

आगे चल के हमें छूना है पर्वतों की ऊँचाइयों को


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