नया सवेरा
नया सवेरा
सृजित करे संसार नया
चहुँओर नया सवेरा हो
छट जाये बादल गहरे
न किंचित भी अंधेरा हो।
मन की बगिया में पुष्प खिले
हर पुष्प पर चंचल भंवरा हो
पसीज जाये मन सभी के दुख में
ममत्व मन में गहरा हो।
देखूं जहां वहाँ हो बहार
हर ओर मौज का पहरा हो
हर आँखों में बसी हो भावना
सुंदर हर एक चेहरा हो।
दिन हो श्यामल रात उजेरी
चांद अटारी पर ठहरा हो
न हो गमों का आगमन
खुशियों का मौसम सुनहरा हो।