क्षणिक सुकून
क्षणिक सुकून
ये जो गर्मी का मौसम होता है
बहुत मिलनसार होता है
जब भी आती है गर्मी
चारों ओर खिलखिलाहट
और अपनों का प्यार होता है
आती है बेटियाँ नाती नातिन के साथ
नन्हें -नन्हेें हाथों को थामें
दूर विदेश से आते है बेटे
जो करते थे हर साल आने की बात
आमों की खुशबू
आम का आचार
पकवानों की रेलमपेल
और सुख-दुःख के समाचार
घर में आ जाती है
किलकारियों की बरसात
खींचते मासी के बाल
तो मामा चलता घोड़े की चाल
रात में नानी की कहानियाँ
दिन में नाना संग शतरंज की बिसात
छत पर तारों को गिनना
और ठंडी ठंडी बयार
देख खुश होते सब
अपना क्षणिक ही सही
पर भरा-पूरा परिवार
