नया साल
नया साल
नया साल हम सब के लिए, मस्ती खुशियों की थाली हो,
हर घर में खुशहाली हो, कहीं रात ना काली हो ।
हर घर सुख के दीप जलें, हर डगर सुकून की डाली हो,
ना रोगी ना निराशा न विरोध की ललकार हो कहीं,
'सर्वे सुखिनः भवंतु' की आवाज फिर उजियारी हो।
न आँसू ना पीडा न दुख की छाया, बस हर चेहरे पर मुस्कान मतवाली हो ,
इस सुंदर श्यामला धरा पर, अमन की फसल निराली हो।
दूध पूत धन-धान्य से भरपूर हर घर का प्रांगण हो,
प्रभु की अनुकंपा से प्रकाशमान सभी का जीवन हो।
न नौकरी की मार हो, न गरीब की हार हो,
सब का व्यापार फले-फूले, यही सब की पुकार हो।
नया सवेरा नई किरण चहुँ ओर नया विकास हो,
आओ मिलकर वंदन करें, नया साल कुछ खास हो।
