नया ख्वाब
नया ख्वाब


चलो एक नया ख्वाब सजाते है!
गुल से गुलसन चुनकर के,
वो राह ए विकास बनाते है।
दिए मशाले जला करके,
सुप्रभात ले आते है।
बिन करवा बिन लस्कर ही,
जो कई प्रयास लगते है।
बदरा बदरा जोड़कर,
सावन का आकाश बनाते है।
चलो एक नया ख्वाब सजाते है !
हर बालक को बाबा साहब,
छात्र को कलाम बनाते है।
हर बच्ची हो कल्पना चावला,
छात्रा को मैरीकॉम बनाते है।
राष्ट्र नायक जो उभर रहे हैं,
सरगम संगीत नया सुनते है।
पंत नहीं समुदाय नहीं,
बालक जहाँ राष्ट्र राग बतलाते हैं।
चलो एक नया ख्वाब सजाते है
!
हर निर्धन का धन बन जाए,
मिलकर हर अंधे की आँख बन जाते हैं।
देखो माँ और माटी के आगे,
हम मस्तक सदा झुकते हैं।
राहुल की प्रेम कल्पना को,
मीत-सरगम की तरह फैलाते हैं।
मानवता के उपदेशों को,
हम हर भाषा मे दोहराते हैं।
चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं !
पूरब से पश्चिम तक,
सूरज नया उगते है।
पौधा पत्ते जोड़ जोड़,
उपवन कही सजाते है।
रामधुन गुरुबानी और अज़ान,
यहाँ भेद मिटाना सिखलाते है।
राष्ट्र धर्म के ग्रंथो में,
कुछ पन्ने और लगते हैं।
चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं !
चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं !