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Rahul S. Chandel

Inspirational

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Rahul S. Chandel

Inspirational

नया ख़्वाब

नया ख़्वाब

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चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं!

गुल से गुलशन चुनकर के,

वो राह ए विकास बनाते हैं।

दिए मशाले जला करके,

सुप्रभात ले आते हैं।।

बिन कारवां बिन लश्कर ही,

जो कई प्रयास लगते हैं।

बदरा बदरा जोड़कर,

सावन का आकाश बनाते हैं।।

चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं!


हर बालक को बाबा साहब,

छात्र को कलाम बनाते हैं।

हर बच्ची हो कल्पना चावला,

छात्रा को मैरीकॉम बनाते हैं।।

राष्ट्र नायक जो उभर रहे हैंं,

सरगम संगीत नया सुनते हैं।

पंत नही समुदाय नही,

बालक जहाँ राष्ट्र राग बतलाते हैं।।

चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं!


हर निर्धन का धन बन जाए,

मिलकर हर अंधे की आँख बन जाते हैंं।

देखो माँ और माटी के आगे,

हम मस्तक सदा झुकाते हैंं।।

राहुल की प्रेम कल्पना को,

मीत-सरगम की तरह फैलाते हैंं।

मानवता के उपदेशों को,

हम हर भाषा मे दोहराते हैंं।

चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं!


पूरब से पश्चिम तक,

सूरज नया उगाते हैं।

पौधा पत्ते जोड़ जोड़,

उपवन कहीं सजाते हैं।।

रामधुन गुरुबानी और अज़ान,

यहाँ भेद मिटाना सिखलाते हैं।

राष्ट्र धर्म के ग्रंथो में,

कुछ पन्ने और लगते हैं।।

चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं!

चलो एक नया ख्वाब सजाते हैं!!



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