मेरे शहर की बात
मेरे शहर की बात
सड़क पर गुजरती कार की सरसराहट,
बजते पुराने गानों की गुनगुनाहट।
सर्दी में आग तपते लोग हैं जहां,
किसी अपने के घर आने की आस है वहां।
मेरे शहर की वो बात फिर कहां (1)
शेरू की आवाज़ सुनाई दी,
कोहरे से भरे रोड लाइट दिखाई दी।
चौरसिया जी की वो चाय है जहां,
अरे कंजूस बिहारी चाचा की दुकान भी है यहां।
मेरे शहर की वो बात फिर कहां (2)
मैच देखने के लिए भीड़ लगती है,
साग सब्जी लेने को बाज़ार सजती है।
एटीएम से पैसे निकालने की होड़ है वहां,
वो सुट्टे वाली गुमटी पे जमावड़ा भी है जहां।
मेरे शहर की वो बात फिर कहां (3)
मूवी देखकर आते लोग दिखते हैं,
चाट समोसे के ठेले बेवजह महकते है।
फोन पर लगे रहने के लिए वो पार्क है जहां,
और चौराहे पर लफंगों का एक भी कोना है वहां।
मेरे शहर की वो बात फिर कहां (4)
दर्शन करके भोले के भक्त आते है,
फोन करके दोस्तो को घूमने ले जाते हैं।
ऑफिस से घर आकर आराम करते है जहां,
और बिजली जाने पे भी किवाडे खुलते है वहां।
मेरे शहर की वो बात फिर कहां (5)