नव वर्ष, नव आरंभ
नव वर्ष, नव आरंभ
गुज़रा वक्त क्या खूब रहा,
हो नव वर्ष बेमिसाल,
सभी हमारे नाम को जाने,
करें ऐसा कुछ कमाल।
बुरे वक्त का मलाल न करना,
बेफिक्र हो नए कदम बढ़ाना,
छोड़ के खट्टी मीठी यादें,
सारे शिकवे गिले मिटाना।
जो कुछ रिश्ते छूटे हों,
फिर से नए बंधन बनाना,
बस ध्यान रहे कि डोर खुशी की,
न दूजे के हाथ थमाना।
जो प्रेम ढूंढो संसार में,
प्रथम प्रेमी खुद का बनना,
आदर और प्रेम लुटाकर,
सबके हृदय में स्थान बनाना।
इस वर्ष करना कुछ ऐसा,
कि मंजिल आके गले लगा ले,
नव वर्ष का नव आरंभ कर,
शिखर चूम नभ में छा ले।
नव अंबर की पगड़ी बांध ले,
अपनी नई पहचान बना ले।