जीवन
जीवन
जीवन एक संघर्ष हैं,
मिलती हैं एक बार, बिताओ हर्ष से।
जन्म और मरण जीवन का चक्र हैं,
शांति और संतोष जीवन के दो नक्षत्र हैं।
ज़िन्दगी अत्यंत न्यूनतम हैं, आज हैं तो कल नहीं,
कुछ कर दिखाना हैं, समय हैं यही सही।
अनन्य परिस्थितियां तो जीवन का अनिर्वाय अंग हैं,
सुख और दुःख सदैव जीवन के संग हैं।
विजय और पराजय हैं ज़िन्दगी की रीत,
चाहे जो भी परिणाम, हर स्तिथि में करो सबसे प्रीत।
ज़िन्दगी के मुकाम को पूरे श्रम से करना हैं हासिल,
ज़िन्दगी बीत जाएगी, समझने में जीवन का साहिल।
न स्वयं पर न औरों पर करो कभी संदेह,
आनंद प्राप्ति होगी, तुम करो सबसे स्नेह।
तय करो तुम अपने जीवन का एकमात्र लक्ष,
तुम्ही हो कल के नवभारत का भविष्य।
हमारी उत्पत्ति ईश्वर ने की हैं किसी उद्देश्य से,
हमारा कर्त्तव्य हैं जग को देना यहाँ सन्देश हैं।