ज़िंदगी
ज़िंदगी
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ज़िंदगी इतनी भी बेदर्द नही,
इससे खफा न हो कभी।
है इसे आदत परीक्षा लेने की,
डर नही जाना कभी।
कभी ये न समझों कि केवल,
तुम्हारे जीवन में मुश्किलें हैं,
तुम नही जानते कि औरों के मार्ग पर
कितने काँटे बिछे हैं।
हिम्मत न हारना तुम कभी,
डट कर सामना करने का निश्चय ही है सही,
सबल जन कर जाते पार,
सब के बस की बात नही।
क्रोधित न हो अपने तक़दीर पर इतना कभी,
कि करने लगो घृणा अपने आप से।
अनजान हो तुम कि कितनों ने दुआ में माँगी,
ज़िंदगी तुम्हारी जैसी भगवन से।
कमला का भाग्य नही तितली बनना,
उसका धैर्य, संघर्ष उसे सफल बनाता है।
मनुष्य पर भी यह नियम लागू होता है क्योंकि,
भाग्य निश्चित नही निर्मित होता है।