एकांत
एकांत
आनंद ही कुछ अनूठा है एकांत का,
अर्थ और महत्त्व समझा अब शांत का।
तन्हा होने का अर्थ नहीं होता तन्हाई,
संग जो है सदा तुम्हारी परछाई।
कभी अपने अंतरात्मा से गुफ्तगू करके देखो,
उस परछाई को प्रकाशित होते देखो।
होता है आत्मबोध का परिचयन,
खुल जाते हैं अपने भीतर मन के नयन।
हर उलझन आसान लगने लगेगा
हर शिखर प्राप्त करने योग्य लगेगा।
समझोगे वक़्त की कीमत जिसकी नहीं हैं तुम्हे कदर,
कर जाते घंटों बर्बाद यूँ हीं बिना किसी के डर।
एकांत में रहना किसी नीरसता की बात नहीं,
इसकी अनुभूति तो सुखद है, उदासी नहीं।