Preeti S Mathpati

Abstract

4.8  

Preeti S Mathpati

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गुरु

गुरु

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गुरु हैं सुलभ, गुरु हैं विशाल,

गुरु हैं निस्वार्थ,गुरु हैं मिसाल।


गुरु हैं सरल ,गुरु हैं सहज,

गुरु हैं शिष्य का पुष्प जलज।


गुरु हैं प्रेरणा, गुरु हैं छाया,

गुरु हैं कीर्ति, गुरु हैं माया।


हर कदम पर, हर मोड़ पर उनका साया था हम पर,

उनके आशीर्वाद का हाथ रहे सदा हमारे सर पर।


सदा सत्य मार्ग पर चलना सिखाया,

उठकर फिर से आगे बढ़ना सिखाया।


शिष्य गुरु का दर्पण हैं, और गुरु शिष्य का निर्माता हैं,

गुरु के उपदेश, भविष्य को सजाता हैं।


अस्थिरता को समाप्त किया, दुर्लभता को दूर भगाया,

जीवन जीने कि रीत, हमारे गुरु ने समझाया।


गुरु हैं माँ-बाप का प्रेम और ममता,

गुरु में हैं देश के भविष्य को उजागर करने कि क्षमता।


गुरु के जीवन में शिष्य, दीया का बाती हैं,

शिष्य के जीवन में गुरु, दिव्य रौशनी हैं।


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