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V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

Inspirational

नश्वर शरीर पर न कर अभिमान

नश्वर शरीर पर न कर अभिमान

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पंचतत्व से निर्मित है ;

यह नश्वर मानव देह !


      इसे एक दिन नष्ट होना है,

      छोड़कर सारा प्रेम नेह !


मोह माया से सब दूर रहें ;

जैसे रह रहे हों कभी विदेह !


          सदकर्म से ही सुफल मिलता ;

          इसमें नहीं है कोई भी संदेह !


सबको मिलता रहे सदा ;

प्रभु जी का अनुपम स्नेह !


         ईश्वर की आराधना में है लिपटी ;

         भावना संग मानव मन की गेह !



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