नमन है तुमको
नमन है तुमको


उठो,
प्रण करो
प्रेरित हो स्त्रियाँ सभी,
ऐसा तुम कर्म करो।
ज्योति बन
जीवन में अपने प्रकाश भरो,
अंधकार जो मिला है समाज से
उसका तुम नाश करो।
भाग्यशाली हो,
यदि शिक्षित हो
शोषित थी अब तक तुम
अब सशक्त बनो।
अधिकारों को अपने
स्वबल से अर्जित करो,
इच्छाओं को सभी अपनी तुम
अब पूर्ण करो।
नमन है तुमको,
जिसने साहस कर कदम बढ़ाया
विकट परीक्षाओं को पार कर
स्वयं को तुमने सफल बनाया।
सभी परम्पराओं को
तोड़ा है तुमने,
मर्यादाओं क
ो सभी लाँघ
स्वयं की पहचान बनाई है तुमने।
जिन संघर्षों से
सशक्त स्वयं को किया है,
उन्हें तुम व्यर्थ न करना,
यात्रा अभी बाकी है,
तुम भूल न जाना।
हाँ, कहीं भूल न जाना
अनेको शोषित हैं अब भी,
गहन अंधकार से
अनेकों पीड़ित हैं अब भी।
परम्पराओं, मर्यादाओं से
अनेको बाधित हैं अब भी,
मिथ्या आन को किसी के
समर्पित है अब भी।
तुम्हें उनके लिए भी लड़ना है,
एक उदहारण तुमको बनना है,
उनकी हिम्मत तुम्हें बढ़ानी है,
दीपक की लौ बन,
मार्ग उन्हें दिखाना है।।