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Ashok Patel

Drama

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Ashok Patel

Drama

नकाब लेकर बैठ गए

नकाब लेकर बैठ गए

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चलें ही नहीं बस ख्वाब लेकर बैठ गए

फिर बहानों की किताब लेकर बैठ गए।

आसान हो हर सफर उनका

ये अरमान लेकर बैठ गए।


जो छांव देखकर चलें भी

बाद में धूप का फैलाव देखकर बैठ गए।

मंज़िल तक पहुंचा वहीं नहीं

जो कठिन हालात देखकर बैठ गए।


रुका उनका नज़रिया था

और वो ज़माने से हिसाब लेकर बैठ गए।

चेहरा उनका होना था

पर वो नकाब लेकर बैठ गए।





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