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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

निश्छल छंद

निश्छल छंद

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जीवन के कर्म क्षेत्र में नित,रख उत्साह।

भटकन निश्चित तय है होना, मत गुमराह।।


अपने सारे छलते हैं अब,भीतर देख।

अनुपम अचरजमय है विधि का,कैसा लेख।।

तर्पण करके दुख का सुख को,कर जलवाह।

जीवन के कर्म क्षेत्र में.....


पाना सब कुछ अब है संभव,जीवन जान।

बिखरी-बिखरी हैं सब खुशियॉं,अपना मान।।

पावन पुण्य कर्म को अपने,कर आवाह।

जीवन के कर्म क्षेत्र में.....


पुलकित मन सानंद रहे अब,तजना आह।

सागर कितना गहरा अब हो,तुझको थाह।।

जीवन जीना सहज नहीं पर,रखना चाह।

जीवन के कर्म क्षेत्र में..... 


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