निर्भय मन
निर्भय मन
मन आज निर्भय होकर नाच तू,
कर दूर हर डर , निर्भय होकर नाच तू।
खुली हवा में सांस ले, तोड़कर हर बेड़ियां तू,
खुले आसमान में उड़ ले, छोड़कर हर पिंजरा तू।
मंजिल की ओर आगे बढ़, बहते पानी की धार बन;
हासिल हर मुकाम कर, खड़े चट्टान की ताकत बन।
अपने हौसले को बुलंद कर, हार कभी ना मान तू,
मन आज निर्भय होकर नाच तू
मन आज निर्भय होकर नाच तू।