निकलले पतली गली से
निकलले पतली गली से
आए हैं वो सीना तान
बिना मूंछ के, बिना पूंछ के
ना जाने वो, हम हैं पवन पुत्र के भक्त
शौर्य है हमारे दिल में
विनर्म है हमारा रोम
रोम रोम में बसते हैं हमारे
राधेश्याम और सियाराम
ना करना भूल हमें उकसाने की
अपने झूठे वादों से,
अपने हिंसा के इरादों से
हम भी मर मिटेंगे,
बहा देंगे लहू तुम्हारा
लेकर पवन पुत्र का नाम अपने लबों पे
ना झुकेंगे, ना झुकाने देंगे,
अपनों को किसी के सामने
निकाल देंगे तुम्हे पतली गली से बाहर
तुम्हारे घमंड को, तुम्हारे आतंक को
हर वार सह लेंगे और पलट के फिर आएंगे,
बार बार अपनी जान हथेली पे लेकर
निकाल फेंकेगे बाहर तुम्हे पतली गली से,
वापस तुम्हारे ही आंगन में
ना भूल करना हमसे टकराना,
अपने संख्या के घमंड में
अब संख्या है हमारी तुमसे भारी,
जो अंका तुमने कम बारी बारी
बड़ चलेंगे तुम्हारी ओर,
सबको साथ ले के, संख्या और संख्या में
ना मिला सकोगे तुम अपने बुढ़ापे में ढलते कदम,
हमारे कई फौलाद के युवा कदमों से
भारी पड़ जायेंगे हम तुमपे चल
कर तुम्हारे ही नक़्शे कदमों पर
ना झेल पाओगे हमारा संकल्प
तुम्हारे हर वार का पलट वार करने का
छटा देंगे धुल तुम्हे भी, तुम्हारे ही नक़्शे कदमों पे चल के
ना पीछे हटेंगे, वहीं पर मर मिटेंगे,
साथ लेकर जाएंगे तुम्हे भी यमराज के लोक में
ये है हमारा संकल्प, हमारी दृढ़ता,
हमारी आस्था, हमारी भावना
हमारा रोम रोम पुकारता है
पवन पुत्र का ही नाम
लेकर उसी की भक्ति अपने रोम रोम में
हम हैं खड़े और आगे बढ़ते चलेंगे,
निःसंकोच भक्ति में लीन
पवन पुत्र का ही नाम लेकर निकाल देंगे तुम्हें,
पतली गली से
बाहर, वापस तुम्हारे ही आंगन में।