Ranjeet Jha
Abstract
कब आती है ?
कब जाती है ?
कब आ-आकर
चली जाती है ?
पता नहीं चलता
नींद
महीने के मेहनताने सी
कभी सेवेंटी परसेंट
कभी फिफ्टी परसेंट
आती है
जाती है
कब ख़त्म हो जाती है
पता नहीं चलता।
नये साल में न...
जामुन
माँ
कोरोना करप्श...
वो आम आदमी !
बंगाल
नया फ़ोन
खटमल
दो का आलू
मौन भी मृत्यु...
तकरार की जुबान पर संकोची सा लम्हा होंठों पर ठहरी मुस्कान सा लम्हा तकरार की जुबान पर संकोची सा लम्हा होंठों पर ठहरी मुस्कान सा लम्हा
कहते सुना है राम रहीम वाहेगुरु सारे एक ही पैगंबर में कहते सुना है राम रहीम वाहेगुरु सारे एक ही पैगंबर में
मेरी जीत का नहीं मेरी हार का जश्न मनाना, और जब मैं हारूँ मेरे कफ़न पर हँसी उड़ाना। मेरी जीत का नहीं मेरी हार का जश्न मनाना, और जब मैं हारूँ मेरे कफ़न पर हँसी उड़ान...
सफेद रंग, मानवता की पहचान अंतर्मन के सबसे गहरे अरमान सफेद रंग, मानवता की पहचान अंतर्मन के सबसे गहरे अरमान
मैं बात बात में ही सब को तोलता हूँ मैं तो अब, बस मौन होकर बोलता हूँ!! मैं बात बात में ही सब को तोलता हूँ मैं तो अब, बस मौन होकर बोलता हूँ!!
खो दूंगी खुद को गर गुनहगार बन बैठी गुनाहों की दुनिया से पनाहागार कर दे खो दूंगी खुद को गर गुनहगार बन बैठी गुनाहों की दुनिया से पनाहागार कर दे
हड्डियों को गलाकर, हर रोज लोहा करता। हड्डियों को गलाकर, हर रोज लोहा करता।
कुछ सुनहरी जिल्द वाले छोटे छोटे डिब्बे भी थे, कुछ सुनहरी जिल्द वाले छोटे छोटे डिब्बे भी थे,
जीवन की रणभूमि में पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है जीवन की रणभूमि में पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है
पढ़कर दिल को धक्का लगता है, आँखें नम हो जाती हैं पढ़कर दिल को धक्का लगता है, आँखें नम हो जाती हैं
अपनी छोटी-से-छोटी मंज़िल तक सशक्त रूप में पहुंचते हुए अपनी छोटी-से-छोटी मंज़िल तक सशक्त रूप में पहुंचते हुए
मोर उड़ गये उल्लुओं ने किया बसेरा : बुलबुल बहक गये सारे पोल खुल गये मोर उड़ गये उल्लुओं ने किया बसेरा : बुलबुल बहक गये सारे पोल खुल गय...
मेरी जिजीविषा के परों को पखारने को अथाह आकाश मिला तुमसे मेरी जिजीविषा के परों को पखारने को अथाह आकाश मिला तुमसे
उसके हृदय की भाषा बनी रहती है उसके हृदय की भाषा बनी रहती है
सुख-चैन, सब से हाथ धो दिया, ऐसा हाल हुआ मेरा, जब से मैंने तुम्हें खो दिया। सुख-चैन, सब से हाथ धो दिया, ऐसा हाल हुआ मेरा, जब से मैंने तुम्हें खो दिय...
अपने पिता से मिलो ना मिलो फॉर्मलिटी करो मिलने का अपने पिता से मिलो ना मिलो फॉर्मलिटी करो मिलने का
अब खोल दो परों को यह जमाना पंखों की परवाज देखता है। अब खोल दो परों को यह जमाना पंखों की परवाज देखता है।
मन से ही आधी जंग जीती जाती है मन के हार जाने से होता जीवन तंग मन से ही आधी जंग जीती जाती है मन के हार जाने से होता जीवन तंग
संघर्ष की राह पर, मिलेगा मंजिल का पता, उम्मीदों का संगम, सपनों का संवारा। संघर्ष की राह पर, मिलेगा मंजिल का पता, उम्मीदों का संगम, सपनों का संवारा।
अंधियारे घेर लें दिल को, हंसी फुहारे भरें मन को। अंधियारे घेर लें दिल को, हंसी फुहारे भरें मन को।