नींद
नींद
मानव तन प्रभु की कृति है,
अति विशिष्ट और बड़ी विचित्र,
विज्ञान कर चुका लाख प्रगति,
न समझ सका है इसको मित्र।
औषधि नींद प्रभु की इसको,
जिसका बस संतुलित प्रयोग,
स्वास्थ्य मानसिक और
शारीरिक हो उत्कृष्ट, न आवे रोग।
नींद है निशुल्क एक उपहार प्रभु का,
देता नई ऊर्जा शक्ति,
बिना भेद के दिया सभी को,
हो नास्तिक -करता हो भक्ति।
मगर अधिकता या हो न्यूनता,
गड़बड़ स्वास्थ्य होवे बहु रोग,
वर्जित अति सब ही की होती,
भली भांति समझें यह लोग।
