नींद में - एक ग़ज़ल
नींद में - एक ग़ज़ल
जाओ जाओ नींद में
कुछ ख्वाब तो दिखाओ नींद में
आखिरी मुलाकात भी याद नहीं आती
अपना अक्श तो दिखाओ नींद में
अब तो पा लिए होंगे खुशी के मायने
अपना इश्क तो दिखाओ नींद में
माना हम गलत तो तुम कौन से सही हो
चेहरा तो मत छुपाओ नींद में
और कितनी तारीफ करूं तुम्हारी खुदसे
तुम कुछ नया तो बताओ नींद में
चुनाव आकर चले गए तुम नहीं आए
इस इंतजार के वास्ते ताली तो बजाओ नींद में
चलो अब जाओ और सो जाओ
कमसकम नींद को तो बुलाओ नींद में!