नीला पड़ना
नीला पड़ना
हर शख्श
जो इश्क़ में पड़ा हो
जरूरी नहीं
जिंदगी में भी
आबाद ही हो जाए।
कुछ लोग
ऐसे भी मिलते है
जो इश्क़ में
जहरीले हो जाते हैं
खुद के लिए।
उनके पास
नहीं होता कोई बहाना
मुस्कराहट संग
झुठलाना
प्रेमी की उपेक्षा को।
छलनी हुआ
रहता है उनका मन
फिर भी स्नेहिल
होते है वहीं
जहां दुखता है मन।
बौखलाये से
अक्सर खुद पर
सहेजते हैं
धुँधलाता रिश्ता
उम्मीदों का।
इन्ही को
झकझोर कर
जगाता है
समय कठोरता से
अचानक।
बिखरते हैं
जज्ब करते हुए
नीले पड़ते जाते हैं
इश्क़ में
लाल रंग से।