नगमें प्यार के
नगमें प्यार के
धूप में सुनहरी छाँव की तरह रहती है वो
नगमें प्यार के लबों से अपने कहती है वो
बनके बारिश की बूंदे, उसमें है मेरी खुशी
खिलखिलाती बहारों की कोई कली है वो
सूरत उसकी ऐसी जैसे चाँदनी रात की रौनक
चाँदनी की शीतलता लिए इस दिल में बसती है वो
दिल की धड़कन की धक-धक धड़कती उससे है
इन फ़िज़ाओं में खुशबू बन कर महकती है वो
मन में उम्मीदें जगाये रखती बैर ना रखती किसी से
'ममता' लिए मन में अपने ,दिल की सुनती है वो।

