नेता
नेता
हमारी दम पर चुना नेता
हमें ही देता धोखा
नोचकर जनता को खाता
फर्जी है बागुल बुवा
अज्ञानी है यह कीड़ा
ज्ञान का नहीं था पता
जबरन शासन पर आ बैठा
नक्सलवादी कि ले के फौज
जनता का है यह नौकर
सेवा करना इनका काम
बेईमानी से बेचे सब कुछ
मन में डर संविधान का
फौजदारी के दायरे है मजबूत
कानून से बच ना पाये गद्दार
लोकतंत्र की है यह मशाल
जलकर खाक मणुवाद
युग पुरुष का धम्म दिप
उजाला हुआ चारों और
बुद्धम शरणग गच्छामी
गुंजे विश्व भर
अनमोल है मागॅदाता
संविधान लिखता
देश रखवाला बुलंद बंदा
एक ही नेता अखंड भारत का दाता