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Ashish Pathak

Abstract

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Ashish Pathak

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नेता

नेता

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आज काल के नेता, दिखने में लगते कितने प्यारे,

बाहर से जितने गोरे, है अंदर से उतने काले।

आज काल के नेता दिखने में लगते कितने प्यारे,

बाहर से जितने गोरे, है अंदर से उतने काले।


बात वोट की जब भी आती है अब उनकी वाणीं में,

वादे करते इतना सब, और पूरा करने में हारे,

आज काल के नेता, दिखने में लगते कितने प्यारे,

बाहर से जितने गोरे, है अंदर से उतने काले।

 

वादे कर के वोट ले लिया, और जीत कर भूल गए,

इतना सब हमने था कह दिया, ये सब भी वो भूल गए।

मिला जो पैसा विकास कार्य को, जेब गरम फिर कर डाली,

जनता के सारे पैसों से जाते शिमला और मनाली।


फिर बस अपने नाम के लिए, चंद काम वो कर गए,

जनता से वादा करके, वो तो है सब कुछ भूल गए।

हमनें सोचा करें शिकायत उनके काले करतूतों की,

दुनिया को बतलायेंगे उनके पैसों के लूटों की।


उससे भी कुछ हो न पाया, आपस में थे सब मिले हुये,

क्योंकि उनके बटुए भी थे पैसों से कुछ गरम हुये।

जितना भी पैसा मिलता, आपस मे करते सब बँटवारे,

आज काल के नेता, दिखने में लगते कितने प्यारे,

बाहर से जितने गोरे, है अंदर से उतने काले।


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