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Abhinav Pancholi

Drama Thriller

3  

Abhinav Pancholi

Drama Thriller

नेता का योगदान – जाति का जहर

नेता का योगदान – जाति का जहर

2 mins
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नया कानून तुमने पारित करा तो दिया कठोर,

पर अब के वोटों की फसल बम्पर न होने पाएगी,

शोषित बरसों से देख रहे हैं खेल तुम नेताओं का,

अब पहचान गए हैं तुम्हारी असली नियत और,

स्वयं अपने संगठन में निहित वोट-शक्ति ।


पिछड़ों का अनुसरण कर अब अगड़े भी हुए हैं लामबंद,

(कौन पीछे है, कौन आगे,यह फैसला भी नेता तुमने किया),

शोषक-शोषित में बटा हुआ था हमारा प्राचीन समाज,

जाति की राजनीति को हवा देकर और प्रदूषित तुमने किया,

उन्मूलन के प्रयास तो दूर, हर मौके पर समाज को विखंडित ही किया !


अब हमारे वोटतन्त्र के कण-कण में है जाति,

मन- प्राण में बस गयी, रह गयी है सिर्फ जाति,

मेरा धर्म-कर्म जाति, मेरा भूतो - भविष्य जाति,

मेरी हस्ती जाति, मेरा परिचय मेरी जाति,

सत्तर बरस के लोकतन्त्र की क्या बस यही है थाती ?


सबको सबसे लड़ा-लड़ाकर, तुम सरकारें बना रहे थे,

सारे पत्ते खुल गए हैं, अगड़ा-पिछड़ा संभल गए हैं,

इस विभाजित समाज में तुम अब कैसे गणित बैठाओगे,

बंदर मामा पोल खुल गयी, बिल्लियों के पंजों से न बच पाओगे,

देखते हैं सत्तालोलुप, इस दफ़े कैसे सरकार बनाओगे ?


नोटा की जब चपत लगेगी ,नोटबंदी की मार भुला देगी,

मैंने जो माँग लिए अपने अधिकार,

तो मेरी हठ तेरी सरकार डुला देगी,

न कभी एक पक्ष के थे तुम, न दूसरे के हो पाओगे,

हम पक्षों में भेद ही नहीं रहेंगे, जब तुम न रह जाओगे ।


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