नेह की भाषा
नेह की भाषा
प्रेम का कोई मापदंड नहींं होता,
कौन कितना कम ज्यादा करता
इसका कोई तौल नहीं होता,
प्रेम सिर्फ मानव तक नहीं होता सीमित,
यह तो विस्तार है नेह का ,प्रेम प्रेम ही होता हैं
फिर चाहें मानव का परमात्मा से हो
या पशु का पशु से ,एक ही भाषा जानते हैं प्रेमी,
वह भी प्रेम की भाषा,नेह की भाषा।।
