नदी - सी थी तुम
नदी - सी थी तुम
नदी - सी थी तुम
याद है मुझे,
धीरे - धीरे किनारों से टकराती,
बहती रही न जाने किन - किन कंदराओं,
उपत्यकाओं से गुज़रती रही,
बिन कुछ कहे।
धार में तेरे,
निमग्न होती रही पीढ़ी,
बहती रही हमारी उम्र से आगे,
निकल गई।
हम तुम्हें छोड़ बस गए नगर - नगर,
शहर - दर - शहर,
लेकिन तुम संग रही,
हमेशा ही रगों में दौड़ती रही।
तुम नदी थी
तुम्हें समंदर में जाना ही था,
मिलना ही था सागर में,
तुम्हें ख़ुद को खोना नहीं था।