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Kalpana Kaushik

Tragedy

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Kalpana Kaushik

Tragedy

नदी मर गई है

नदी मर गई है

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अल्हड़ता से चंचलता से

अठखेलियां करती थी

गुुनगुनाती खिलखिलाती

दूर तक बहा करती थी

बलखाती चलती हुई

 नागिन सी दिखा करती थी

 ये तब की बात है 

 जब नदी जिंदा थी

बाकी है आज सिर्फ

उसका अवशेष

नहीं है अब नदी

बस नाम ही है शेष

 ना बच पाई लंबाई

 ना ही चौड़ाई बची है

 टुकड़े-टुकड़े हो बिखर गई है

 आज नदी मर गई है।


सूूूखी दर्राई नदी के 

तन पर कहीं-कहीं

जल जख्म सा लहराता है

'एनी'जगह से 'कट'करके

कोमल तन को उसके ,जब

'एनीकट' बनाया जाता है

जाने कैसे लगता है किसी को

 नदी संवर गई है

 मेरी और स्वयं की दृष्टि में       

 नदी मर गई है।



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