नारी
नारी
जीवन का सुरभित छंद हो तुम,
तुम प्रेम की पराकाष्ठा हो।
जीवन का पुलकित नेह हो तुम,
तुम श्रद्धामयी आस्था हो।
जननी,भगिनी, प्रिया, तनया,
तुम हर रूप में प्यारी हो।
विश्वास, सम्मान, स्नेह मिले,
तुम इसकी अधिकारी हो।
