" नारी "
" नारी "
नारी हू पर सब पर भारी हू,
सबकी इज्जत पर खुद का गुरुर हू।
सहनशीलता कि मूरत पर,
स्वाभिमान कि सूरत हू।
कुदरत कि देन हू पर,
वो खुद भी मेरी पूरत है।
एक ओर सरस्वती पर,
एक ओर काली हू।
नाम बनाने वाली हू पर,
रुतबा और बढ़ाने वाली हू।
नारी हू पर सब पर भारी हूँ,
सबकी इज्जत पर खुद का गुरुर हूँ।