नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
तू नारी है,
तू अबला नहीं तू सबला है।
अच्छे अच्छो को धूल चटा देती है।
तू शक्ति की देवी है।
तू उठ, तू जाग,तू दौड़, तू भाग।
तुझमे शक्ति है अखंड, प्रचंड,
तेतू भाग्यवती, सौभाग्यवती।
सौ दुष्टों पर तू भारी है।
तू साधारण इक नारी नहीं,
तू असाधारण प्रतिभागी है।
तेरी शक्ति का आभास नहीं,
तुझसे दुनिया हारी है।
तेरी उपमा कहीं बनीं नहीं,
तुझसा कोई वीर नहीं।
तुझसी ताकत अब किसी में नहीं,
तुझे तेरी शक्ति का भान नहीं।
तुझे तेरा ही अनुमान नहीं,
तू नारी शक्ति है।
तू कोकिला है लता सी,
तू वीरांगना है रानी झांसी सी।
तू उड़ती है आसमान में,
तू पर्वत पर भी चढ़ सकती है।
पर कोमल है गुलाब सी,
घर और रिश्तों को महकाती है।
ममतामयी माँ है तू,
बहन बहु और बेटी है
रंग रूप तेरे अनेक हैं।
उड़ान भरी है दुनिया की,
हुंकार भी तू भर सकती है।
तुझसे जीतना आसान नहीं,
यम और देवता भी हारे हैं।
दिखला दो अब दुनिया को,
तुम्हारा कोई विकल्प नहीं।
तेरे आगे पुरुष कुछ भी नहीं,
तू जौहर भी कर सकती है।
तेरे कदमों में जन्नत है,
तू यशोदा और देवकी है।
ईश्वर का दूसरा रूप है तू,
बच्चों के लिए शीतल छाया।
तुझे बनाकर ईश्वर भी हारा,
सुनो नारी अपना सम्मान स्वयं छीनो
अपना नाम स्वयं करना है।
अपने लिए भी जीना है,
परिवार के साथ
अपना ख्याल भी रखना है।
अपना परचम फहराना है।
तुम्हारी छत्रछाया में रहकर,
पुरुष भी आगे बढ़ता है।
