नारी,नर की शक्ति
नारी,नर की शक्ति

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एक नारी, नर की शक्ति है
बिन इसके अधूरी भक्ति है
जिसके साथ खड़ी है, नारी
वो काम करता है, चमत्कारी
एक नारी, नर की उन्नति है
एक नारी, नर की शक्ति है
जब अपने साथ छोड़ देते है
अपने हृदय को तोड़ देते है
नारी बनती दीप की ज्योति है
ये रुके जीवन को देती गति है
एक नारी,नर की शक्ति है
बिन इसके अधूरी भक्ति है
ये एक नर की अर्धांगिनी है
जैसे होती सूर्य की रश्मि है
ये अंधेरे की विनाशक ज्योति है
दुःख में नारी ही देती सुमति है
एक नारी,नर की शक्ति है
बिन इसके क्या होगी गति है