नारी का धीरज
नारी का धीरज
माँ का चेहरा उतरा देखा
आँखों में ख़तरा देखा
चिंता में वह डूबी थी
जंग होगी खबर सुनी थी
आँखों का तारा सेना में
नवेली बहू अंगना में
दुःख कौन किसका बांटे
आँसू सबके नैना में
बच्चों का मुंह देखकर
करती है वह श्रृंगार
अंखियों में आँसू
और चेहरे पर मुस्कान
विपत्ति काल में धीरज धरती
यही है नारी की पहचान
दुःख सह कर हिम्मत देती
उसकी ममता बड़ी महान
